कल शीशा था सब देख-देख कर जाते थे

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कल शीशा था सब देख-देख कर जाते थे, आज टूट गया तो सब बच-बच कर जाते हैं!
ये वक़्त है साहब, कभी किसी का एक जैसा नहीं रहता!

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